नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित विश्व पुस्तक मेला के आखिरी दिन वाणी प्रकाशन ग्रुप के ‘वाणी साहित्य घर’ में प्रकाश देवकुलिश की पु्स्तक ‘असम्भव के विरुद्ध’, दामोदर मावज़ो की ‘मन्नत और अन्य कहानियां’, जंयती रंगनाथन का ‘हिन्दी में बोल्ड लेखन’, सविता सिंह का ‘वासना एक नदी का नाम है’ और जय प्रकाश कर्दम के ‘उधार की ज़िन्दगी’ का लोकार्पण, परिचर्चा का आयोजन किया गया.
वाणी प्रकाशन के साहित्य घर के पहले सत्र में कवि प्रकाश देवकुलिश की किताब ‘असम्भव के विरुद्ध’ का लोकार्पण व परिचर्चा हुई. कार्यक्रम में मृत्युजंय श्रीवास्तव ने कहा कि कविता संग्रह बहुत मजबूत है. सम्पादक किशन कालजयी ने कहा कि कविताओं से आप असहमत हो सकते हैं लेकिन उनका विषय सचेत है. वह प्रतिरोध के कवि हैं. उनकी कविता लोकतन्त्र और मनुष्यता के पक्ष में है. कवि व पत्रकार प्रियदर्शन ने कहा कि देवकुलिश में एक ताजगी और मुस्कुराहट है. वे कविताओं में तीन -चार तरह के प्रतिरोध की बात करते हैं. राजा का प्रतिरोध, सभ्यता (अपार्टमेंट) में बंध जाने वाली प्रवृत्ति का प्रतिरोध और सम्बंधों को बचा लेने की कविताएं हैं.
दूसरे सत्र में भरतीय ज्ञानपीठ और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित लेखक दामोदर मावज़ो की किताब ‘मन्नत और अन्य कहानियां’ का लोकार्पण किया गया. कार्यक्रम में कवयित्री सविता सिंह ने कहा कि भाषा का बहुत योगदान होता है हमारे बौद्धिक विमर्श में. युवा लेखक किंशुक गुप्ता ने कहा कि किताब की कहानियां प्राकृतिक सौंदर्य से आगें बढ़कर गोवा जन-जीवन को देखती हैं.
यौन इच्छाओं पर बराबर का हक है- जयंती रंगनाथन
एक अन्य सत्र में जयंती रंगनाथन की किताबों पर ‘हिंदी में बोल्ड लेखन’ के तहत परिचर्चा हुई. कार्यक्रम में युवा लेखक किंशुक गुप्ता ने कहा कि हिंदी में बोल्ड को ‘सेक्सुआलिटी’ से जोड़ा जाता है, जो एकदम ‘एब्सर्ड’ है. ‘होमोसेक्सुअल’ सेक्सुअल माइनोर्टी है. युवा लेखिका शोभा अक्षर ने कहा कि जयंती रंगनाथन ने बोल्ड लेखन को मजबूत आधार दिया है. साथ ही उन्होंने समाज में व्याप्त विसंगतियों पर बोलते हुए कहा कि लड़के और लड़की के बीच सेक्स को लेकर असमानता समाज का पाखंड है.
लेखिका जयंती रंगनाथन ने कहा कि शरीर प्रकृति की देन है. युवाओं को बहुत सम्वेदनशील होना चाहिए. आनन्द लेना सिर्फ लड़को का हक नहीं बल्कि लड़कियों को भी बराबर हक है. ‘कामुकता’ के दो पक्ष है जिसमें दोनों को बराबर हक होना चाहिए. सेक्स को कल्पना से मत जोड़िये. इस पर बात कीजिये.
वासना एक नदी का नाम है
एक अन्य सत्र में सविता सिंह की किताब ‘वासना एक नदी का नाम है’ का लोकार्पण व परिचर्चा हुई. इस अवसर पर अरुण देव ने कहा कि कविता अनदेखी को देखती है, जो सुना नहीं गया गया है उसे सुनती है. और यही काम सविता सिंह की कविताएं करती हैं. अणु शक्ति सिंह ने कहा कि सविता सिंह की कविताओं में तमाम चिंताएं है जो बहुत जरूरी हैं. लेखिका सविता सिंह ने कहा कि सही अर्थो में किताब की कविताएं स्त्रियों को मिलतीं हैं और वो इसमें खुद को पाती हैं.
उधार की ज़िंदगी
कार्यक्रम के आखिरी सत्र में जय प्रकाश कर्दम की किताब ‘उधार की ज़िन्दगी’ का लोकार्पण किया गया. कार्यक्रम में प्रो. श्योराज सिंह बेचैन ने कहा कि जय प्रकाश कर्दम की प्रत्येक कहानी किसी ना किसी मुद्दे पर लिखी गयी है. सांस्कृतिक परिवर्तन साहित्य से आता है और यह उनकी कहानियों में मिलता है. दिविक रमेश ने कहा कि जय प्रकाश कर्दम की कहानी और कविता में एक दृष्टि है. उनके शब्द चयन में बहुत सजगता है.
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FIRST PUBLISHED : February 18, 2024, 20:35 IST