हिमाचल की जगह गुजरात से राज्यसभा क्यों भेजे जा रहे जेपी नड्डा? समझें सियासी समीकरण

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हिमाचल की जगह गुजरात से राज्यसभा क्यों भेजे जा रहे जेपी नड्डा? समझें सियासी समीकरण

गुजरात की सियासत के लिहाज से बीता सप्ताह बेहद अहम रहा. सबसे बड़ी खबर रही भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का नामांकन की. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा को गुजरात से राज्यसभा भेजने का केंद्रीय नेतृत्व ने फैसला लेकर सभी को चौंका दिया. सियासी गलियारों में चर्चा है कि कौन सी रणनीति के तहत जेपी नड्डा को गुजरात से राज्यसभा भेजा जा रहा है… क्या यह गुजरात की बढ़ती ताकत है या आने वाले दिनों में जेपी नड्डा को दूसरी कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलने वाली है? 

राजनीति के पंडित इन सभी बातों पर चर्चा कर रहे हैं, क्योंकि अपने गृह राज्य को छोड़कर जेपी नड्डा को गुजरात से राज्यसभा भेजा गया है. भाजपा में गुजरात का महत्व पहले से काफी ज्यादा बढ़ता जा रहा है. ऐसा नहीं है कि यह पहली बार है क्योंकि जब पूरे देश में भाजपा के सिर्फ 2 सांसद थे, तब उसमें से एक सांसद गुजरात के मेहसाणा के थे. वैसे ये कोई नई बात नहीं है कि भाजपा में गुजरात या गुजरात के संगठन की भूमिका न हो, लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष को अपना गृह राज्य छोड़कर गुजरात से भेजा जाना एक बड़े संदेश के तौर पर देखा जा रहा है. 

जेपी नड्डा ने भी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि यह उनके लिए एक गौरवपूर्ण क्षण है, क्योंकि उनको गुजरात से राज्यसभा जाने का अवसर मिला है और इसके लिए उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व का आभार भी व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि यह उनके लिए सौभाग्य की बात है कि वह गुजरात का प्रतिनिधित्व करेंगे. क्योंकि गुजरात भाजपा का संगठन हमेशा देश में सबसे मजबूत रहा है और राष्ट्रीय संगठन को आगे बढ़ाने के लिए रास्ता दिखाता रहा है. 

गुजरात क्यों है महत्वपूर्ण?

गुजरात हमेशा से भाजपा का गढ़ रहा है, पिछले 30 साल से राज्य में भाजपा की सरकार है और पिछले विधानसभा चुनाव में सूबे में बीजेपी ने 156 सीटों पर जीत हासिल की थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गुजरात से आते हैं और वह भी सूबे की कमान संभाल चुके है. देश के गृहमंत्री अमित शाह भी गुजरात के गृहमंत्री रह चुके हैं. जेपी नड्डा से पहले अमित शाह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे. भाजपा ने जो भी नए राजनीतिक प्रयोग किए, उनके लिए गुजरात को प्रयोगशाला कहा जाता है. चाहे वह बिना चुनाव लड़े मुख्यमंत्री बनना हो या फिर ‘नो रिपीट थ्योरी’ हो. इस सबकी शुरुआत भाजपा ने गुजरात से ही की है. भाजपा के दोनों बड़े नेता भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई और भारत रत्न लालकृष्ण आडवाणी गुजरात का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. अब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी राज्यसभा में गुजरात का प्रतिनिधित्व करेंगे. भाजपा ने गुजरात संगठन की तर्ज पर ही पूरे देश में प्रदेश इकाइयों के संगठन मजबूत किए हैं. पेज समिति की बात हो या फिर पन्ना प्रमुख की. इसकी शुरुआत गुजरात से ही हुई थी और फिर उसे पूरे देश में लागू किया गया.

राज्यसभा भेजे गए चारों उम्मीदवारों का सियासी समीकरण

गुजरात से 4 राज्यसभा सीटों के लिए बीजेपी ने जिन उम्मीदवारों का चयन किया, उसमें सबसे बड़ा नाम जेपी नड्डा का है. वह ब्राह्मण समाज का चेहरा हैं. उनके बाद हीरा कारोबारी गोविंदभाई ढोलकिया भी बड़ा चेहरा हैं. सूरत से आने वाले गोविंद भाई जाने-माने हीरा कारोबारी हैं और सामाजिक कार्यों में हमेशा आगे रहे हैं. मूल सौराष्ट्र के गोविंद भाई लेऊवा पाटीदार समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं. इसके अलावा ओबीसी समाज के 2 चेहरों को भाजपा ने राज्यसभा भेजने का फैसला किया है. जो ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष मयंक नायक और डॉ. जसवंत सिंह परमार है. मयंक नायक पार्टी के ऐसे सामान्य कार्यकर्ता हैं, जो हर चुनावी परीक्षा में पार्टी के लिए पोस्टर-बैनर से लेकर मतदाताओं को बूथ पर पहुंचने तक का काम करते हैं. फिलहाल वह गांधीनगर लोकसभा के इंचार्ज हैं और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की लोकसभा की चुनावी रणनीति पर काम करते हैं. कभी परिवार के भरण-पोषण के लिए रिक्शा चलाने वाले मयंक नायक अब राज्यसभा के सांसद बने हैं. चौथे उम्मीदवार डॉ. जसवंत सिंह परमार हैं, जो एक बार बागी भी हो चुके हैं फिर भी पार्टी ने उन पर भरोसा दिखाकर शिक्षित ओबीसी चेहरे के तौर पर राज्यसभा में भेजने का फैसला किया है. भाजपा के चारों उम्मीदवार निर्विरोध राज्यसभा पहुंच रहे हैं. इसके बाद राज्यसभा में गुजरात से कांग्रेस का सिर्फ एक ही सांसद बचा है.

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