चुनाव में सड़क का शोर, हकीकत में चचरी का ज़ोर — ग्रामीणों के सब्र की हुई सीमा पार

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संवाददाता- उमेश कुमार भारती -(छत्तरपुर/पलामू/झारखण्ड)–डिजिटल भारत न्यूज 24×7 LIVE

छतरपुर, पलामू। आजादी के 78 साल बाद भी छतरपुर प्रखंड का मनहू गाँव अब तक पक्की सड़क से महरूम है। छतरपुर मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर दूरी पर बसे इस गांव की तस्वीर विकास के दावों की पोल खोलने के लिए काफी है। भुईयाँ टोला और यादव टोला को जोड़ने वाली यह मुख्य सड़क वर्षों से बदहाल है। बरसात के दिनों में यह रास्ता कीचड़ और गड्ढों में तब्दील हो जाता है, जिससे बच्चों को स्कूल जाना, मरीजों को हॉस्पिटल पहुंचाना और ग्रामीणों का रोजमर्रा का आना-जाना बेहद मुश्किल हो जाता है।

चुनाव के समय वादे बड़े, लेकिन काम ‘शून्य’

ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत के जनप्रतिनिधि हर चुनाव के समय सड़क बनाने का आश्वासन देते हैं, लेकिन जीत के बाद सभी वादे हवा हो जाते हैं। हालात इतने खराब हैं कि कई बार शिकायतें करने के बाद भी नतीजा सिर्फ आश्वासन ही मिला है।

ग्रामीणों के अनुसार विधायक, वित्त मंत्री और सांसद के कार्यालय में दो-तीन बार आवेदन दिया गया, लेकिन सड़क आज भी उसी दयनीय स्थिति में है।

शादी-ब्याह पर भी संकट

सड़क न होने की वजह से युवा पीढ़ी को सामाजिक दिक्कतें भी झेलनी पड़ रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि मनहू गांव में सड़क नहीं होने से लोग शादी करने से भी कतराने लगे हैं। यह गाँव की बदकिस्मती और सरकारी उदासीनता की जीती-जागती तस्वीर है।

ग्रामीणों ने जताया जोरदार विरोध

सड़क निर्माण की मांग को लेकर ग्रामीणों ने कड़ा विरोध जताया। विरोध दर्ज कराने वालों में

दिनेश भुइयाँ, प्रभु भुइयाँ, ददन भुइयाँ, मदन भुइयाँ, बनारसी भुइयाँ, मनोज यादव, मुन्ना यादव, रामजी यादव, उपेंद्र यादव, राजकुमार यादव, रविंद्र यादव, पवन यादव, योगेंद्र यादव, नागेंद्र यादव, अकलेश यादव

और कई अन्य ग्रामीण शामिल थे।

“सड़क कब बनेगी?”—ग्रामीणों का प्रशासन से सवाल

ग्रामीणों का कहना है कि सड़क न होने से वे हर दिन जंग जैसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं। उनका सवाल है कि आखिर कब तक सरकारें सिर्फ कागजों में विकास दिखाती रहेंगी?

मनहू गाँव आज भी सड़क के इंतजार में है—और यह इंतजार सिर्फ विकास नहीं, सम्मान का भी है

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