संवाददाता- उमेश कुमार भारती -(छत्तरपुर/पलामू/झारखण्ड)–डिजिटल भारत न्यूज 24×7 LIVE

छतरपुर प्रखंड अंतर्गत रुदवा गांव में शनिवार की बारिश ने एक परिवार से उनकी बची-खुची उम्मीदें भी छीन लीं। रूदवा पंचायत की अनिता कुंवर (35 वर्ष), जिनके पति अरविंद प्रसाद अब इस दुनिया में नहीं हैं, उनका कच्चा मकान भारी बारिश में अचानक ढह गया।
पति के गुजर जाने के बाद से ही अनिता मानसिक रूप से अस्वस्थ हो चुकी हैं। किसी तरह बच्चों का पेट भरना ही उनके लिए सबसे बड़ी लड़ाई है। ऐसे में अब सिर पर छत भी न रही। तीन मासूम – कोमल रानी, अंजली, कुमारी और रोहित कुमार – खुले आसमान के नीचे बारिश से भीगते हुए, अपने टूटे घर के मलबे को देख रहे थे।
कहते हैं कि अनिता का नाम आवास योजना की दूसरी सूची में आया था, पर फिर दुबारा शामिल नहीं हो सका। कई बार कागज़ी आश्वासन मिले, लेकिन हक़ीक़त में अब तक एक ईंट भी नहीं रखी गई।
यह दृश्य सिर्फ एक परिवार की पीड़ा नहीं, बल्कि उस व्यवस्था की नाकामी है जो गरीबों तक राहत पहुँचाने का दावा तो करती है, पर असलियत में सबसे ज़्यादा ज़रूरतमंद लोग ही छूट जाते हैं।
आज अनिता और उनके बच्चे सवाल बनकर खड़े हैं – क्या सचमुच योजनाएँ गरीबों तक पहुँचती हैं, या फिर वे हमेशा कागज़ों और फाइलों में ही दबकर रह जाती हैं?


