पाक्सो एक्ट: दोषी प्रभात कुमार गौतम को 10 वर्ष की कठोर कैद

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पाक्सो एक्ट: दोषी प्रभात कुमार गौतम को 10 वर्ष की कठोर कैद
– 45 हजार रूपये अर्थदंड, न देने पर एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी
* अर्थदंड की धनराशि में से 35 हजार रूपये पीड़िता को मिलेगी
* साढ़े 6 वर्ष पूर्व 16 वर्षीय नाबालिग लड़की के साथ हुए दुष्कर्म का मामला

सोनभद्र ब्यूरो चीफ दिनेश उपाध्याय-(ओबरा/सोनभद्र/उत्तर प्रदेश)डिजिटल भारत न्यूज टुडे नेटवर्क 24×7 LIVE
सोनभद्र। साढ़े 6 वर्ष पूर्व 16 वर्षीय नाबालिग लड़की के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट सोनभद्र अमित वीर सिंह की अदालत ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर दोषी प्रभात कुमार गौतम को 10 वर्ष की कठोर कैद एवं 45 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि 45 हजार रुपये में से 35 हजार रूपये पीड़िता को मिलेगी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक रॉबर्ट्सगंज थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी पीड़िता की मां ने 3 अप्रैल 2018 को रॉबर्ट्सगंज थाने में दी तहरीर में अवगत कराया था कि उसकी 16 वर्षीय नाबालिग लड़की को प्रभात कुमार गौतम पुत्र स्वर्गीय शिवराम दरोगा निवासी वर्तमान पता लंका कम्पाउंड,थाना लंका,जिला वाराणसी मूल निवासी कुआटी,थाना सादात, जिला गाजीपुर व उनके परिवार के लोग भगाकर ले गए हैं।

इसके पूर्व भी कई बार भगाने का प्रयास किया गया था, लेकिन सफलता नहीं मिल पायी थी।इसलिए पूर्ण विश्वास है कि प्रभात कुमार गौतम ही उसकी बेटी को भगाकर ले गया है और उसके साथ गलत सम्बंध भी बना रहा होगा और उसे जान से मार देगा। वह उल्टा ही फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी दे रहा है।आवश्यक कार्रवाई करें। इस तहरीर पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू कर दिया। विवेचक ने पर्याप्त सबूत मिलने पर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया था।मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने,गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी प्रभात कुमार गौतम को 10 वर्ष की कठोर कैद एवं 45 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि 45 हजार रुपये में से 35 हजार रुपये पीड़िता को मिलेगा। अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी वकील दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी एवं नीरज कुमार सिंह ने बहस की।

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