हत्या के दोषी संजय खरवार को उम्रकैद

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हत्या के दोषी संजय खरवार को उम्रकैद
* 15 हजार रूपये अर्थदंड, न देने पर 3 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी
* जेल में बितायी अवधि सजा में होगी समाहित
* करीब छह वर्ष पूर्व हुए भागीरथी खरवार हत्याकांड का मामला

सोनभद्र ब्यूरो चीफ दिनेश उपाध्याय-(ओबरा/सोनभद्र/उत्तर प्रदेश)डिजिटल भारत न्यूज टुडे नेटवर्क 24×7 LIVE

सोनभद्र। करीब छह वर्ष पूर्व हुए भागीरथी खरवार हत्याकांड के मामले में वृहस्पतिवार को सुनवाई करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम जीतेंद्र कुमार द्विवेदी की अदालत ने दोषसिद्ध पाकर दोषी संजय खरवार को उम्रकैद व 15 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 3 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित की जाएगी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक प्रेम सागर खरवार पुत्र भागीरथी निवासी ग्राम छिपिया , थाना बभनी, जिला सोनभद्र ने बभनी थाने में दी तहरीर में अवगत कराया था कि 14 मार्च 2019 को रात्रि करीब साढे ग्यारह बजे उसके पिता भागीरथी खरवार उम्र 55 वर्ष घर के ओसारे में चारपाई पर सोए थे। तभी अचानक पिताजी के कराहने की आवाज सुनाई दी तो बगल में जमीन पर सो रही उसकी माँ सोनवती, बहन शिवपति जाग गई। जब टार्च जलाकर देखा तो दो लोग भागते हुए दिखाई दिए।जिनको देखने से लग रहा था कि गांव के ही संजय खरवार पुत्र भजावन खरवार व मोहर साव पुत्र सुक्खन खरवार लग रहे थे। एक व्यक्ति के हाथ मे कुल्हाड़ी थी जिसे लेकर भाग रहा था वह संजय लग रहा था। इसके पूर्व पिताजी ने बताया था कि संजय खरवार व मोहर साव से बचकर रहना किसी भी दिन मार सकते हैं। इनसे सतर्क रहने को कहा था। क्योंकि पिताजी से दोनों बैर रखते थे।

उसे पूरा विश्वास है कि उसके पिताजी की कुल्हाड़ी से काटकर इन्हीं दोनों ने हत्या की है। मौके पर पिताजी की लाश पड़ी है। आवश्यक कार्रवाई की जाए। इस तहरीर पर पुलिस ने 15 मार्च 2019 को एफआईआर दर्ज किया। मामले की विवेचना करते हुए विवेचक ने पर्याप्त सबूत मिलने पर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया था। दौरान विचारण मोहर साव की मौत हो गई।मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान व पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी संजय खरवार को उम्रकैद व 15 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 3 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित की जाएगी। अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी वकील विनोद कुमार पाठक ने बहस की।

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