हत्या के दोषी तीन नक्सलियों को उम्रकैद

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हत्या के दोषी तीन नक्सलियों को उम्रकैद
* प्रत्येक पर 30 हजार रूपये अर्थदंड, न देने पर 4-4 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी
* जेल में बितायी अवधि सजा में होगी समाहित
* करीब 20 वर्ष पूर्व हुए तिहरे हत्याकांड का मामला

सोनभद्र ब्यूरो चीफ दिनेश उपाध्याय-(ओबरा/सोनभद्र/उत्तर प्रदेश)डिजिटल भारत न्यूज टुडे नेटवर्क 24×7 LIVE

सोनभद्र। करीब 20 वर्ष पूर्व हुए तिहरे हत्याकांड के मामले में वृहस्पतिवार को सुनवाई करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम जीतेंद्र कुमार द्विवेदी की अदालत ने दोषसिद्ध पाकर दोषी मुन्ना विश्वकर्मा समेत तीन नक्सलियों को उम्रकैद व 30-30 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 4-4 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित की जाएगी।अभियोजन पक्ष के मुताबिक संजय सिंह निवासी ग्राम केतार, थाना पन्नूगंज, जिला सोनभद्र ने 22 दिसंबर 2004 को पन्नूगंज थाने में दी तहरीर में अवगत कराया था कि उसके नाना जय करन सिंह की हत्या 1994 में सुनील सिंह निवासी पुरना कला ने की थी। वर्ष 1997 में सुनील सिंह की हत्या हो गई।जिसमें वह, उसके पिता शिव सिंह और नन्दलाल गिरी नामजद थे जो जमानत पर थे। इसी रंजिश को लेकर शाम साढ़े छह बजे मनोज सिंह निवासी पुरना कला 6-7 की संख्या में राइफल, बन्दूक और लाठी लेकर घर में घुस गए और उसके पिता शिव सिंह व छोटे भाई धनन्जय उर्फ राजू को पकड़़ कर हाथ पीछे बांधकर दरवाजे पर लाकर रायफल से गोली मारकर हत्या कर दिया।करीब आधा किमी दूर चितविसराव गांव निवासी नन्दलाल गिरी जो शुभचिंतक और दोस्त थे की भी गोली मारकर उन्हीं लोगों ने हत्या कर दिया। इस तहरीर पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया। मामले की विवेचना करते हुए विवेचक ने पर्याप्त सबूत मिलने पर कोर्ट में नक्सली मुन्ना विश्वकर्मा पुत्र तिलकधारी निवासी समा बांध, थाना रॉबर्ट्सगंज, जिला सोनभद्र, मुन्नू उर्फ कवि जी पुत्र भरत पाल निवासी विशेश्वरपुर, थाना नौगढ़़, जिला चंदौली व राकेश उर्फ भोला पाल पुत्र दादू पाल निवासी जयमोहनी, थाना नौगढ़़, जिला चंदौली के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल किया था।

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मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान व पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी नक्सली मुन्ना विश्वकर्मा, मुन्नू उर्फ कवि जी व राकेश उर्फ भोला पाल को उम्रकैद व 30-30 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 4-4 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित की जाएगी। अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी वकील विनोद कुमार पाठक ने बहस की।

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