दुष्कर्म के दोषी रविंद्र मौर्या को 10 वर्ष की कैद

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दुष्कर्म के दोषी रविंद्र मौर्या को 10 वर्ष की कैद

– 20 हजार रूपये अर्थदंड, न देने पर एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी

– जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित की जाएगी

– अर्थदंड की धनराशि में से 16 हजार रूपये पीड़िता को मिलेगी

– 7 वर्ष पूर्व नाबालिग लड़की का अपहरण कर उसके साथ हुए दुष्कर्म का मामला

सोनभद्र ब्यूरो चीफ दिनेश उपाध्याय-(ओबरा/सोनभद्र/उत्तर प्रदेश)डिजिटल भारत न्यूज टुडे नेटवर्क 24×7 LIVE

सोनभद्र। सात वर्ष पूर्व नाबालिग लड़की का अपहरण कर उसके साथ हुए दुष्कर्म के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश / विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट सोनभद्र अमित वीर सिंह की अदालत ने वृहस्पतिवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर दोषी रविंद्र मौर्या को 10 वर्ष की कैद एवं 20 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित की जाएगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से 16 हजार रूपये पीड़िता को मिलेगी।अभियोजन पक्ष के मुताबिक राबर्ट्सगंज थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी 16 वर्षीय पीड़िता ने राबर्ट्सगंज थाने में 22 दिसंबर 2016 को दी तहरीर में अवगत कराया था कि जुलाई 2016 को उसे बहला फुसलाकर शादी करने का झांसा देकर रविंद्र मौर्या पुत्र श्रीनाथ मौर्य निवासी सिंदूरी, थाना राबर्ट्सगंज, जिला सोनभद्र अपहरण कर गुजरात भगा ले गया। जहां पर उसे दो माह तक पत्नी की तरह रखा था और शारीरिक संबंध भी बनाता रहा।

उसके बाद अपने घर ले आया और यहां भी चार माह तक पत्नी की तरह रखा था और शारीरिक संबंध बनाता रहा। बाद में उसे गाली देकर भगा दिया। आवश्यक कार्रवाई करें। इस तहरीर पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना किया। विवेचना के दौरान पर्याप्त सबूत मिलने पर विवेचक ने कोर्ट में अपहरण, दुष्कर्म और पाक्सो एक्ट में चार्जशीट दाखिल किया था। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी रविंद्र मौर्या को 10 वर्ष की कैद एवं 20 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित की जाएगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से 16 हजार रूपये पीड़िता को मिलेगी। अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी वकील दिनेश कुमार अग्रहरी, सत्य प्रकाश त्रिपाठी एवं नीरज कुमार सिंह ने बहस की।

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