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ISRO प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने गगनयान मिशन को लेकर इस साल और अगले साल का प्लान बताया. उन्होंने बताया कि इस साल गगनयान मिशन की मानवरहित उड़ानें होंगी. कई तरह के ट्रायल्स किए जाएंगे. इसके बाद अगले साल मैन्ड मिशन किया जाएगा. सोमनाथ ने कहा कि इस मिशन को लेकर बहुत सारे वैज्ञानिक कड़ी मेहनत कर रहे हैं.
कई तरह की टेस्टिंग की जा रही है. इस साल दो टेस्ट व्हीकल उड़ानें होंगे. इसकी तैयारियां चल रही हैं. अगला टेस्ट व्हीकल उड़ान लगभग तैयार है. हम जल्द ही उसे श्रीहरिकोटा शिफ्ट करेंगे. संभवतः अगले महीने यह काम हो जाएगा. अगले दो महीने के अंदर गगनयान के मानवरहित उड़ान को पूरा किया जाएगा.
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डॉ. सोमनाथ ने बताया कि इसके साथ ही हम मानवरहित उड़ान को अंतरिक्ष तक ले जाने की तैयारी में हैं. रॉकेट पूरी तरह से तैयार है. लेकिन क्रूड मॉड्यूल की तैयारियों में थोड़ा समय लग रहा है. उस पर काम किया जा रहा है. हमें अभी कई हेलिकॉप्टर ड्रॉप टेस्ट भी करने हैं. ये ड्रॉप टेस्ट क्रू मॉड्यूल को लेकर पैराशूट वैलिडेशन से संबंधित है. यानी पैराशूट की टेस्टिंग की जाएगी.
लाइफ सपोर्ट सिस्टम से संबंधित और एबॉर्ट टेस्ट किए जाएंगे
इसके अलावा लाइफ सपोर्ट सिस्टम को लेकर कई तरह के पर्यावरणीय परीक्षण किए जाएंगे. एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग प्रोग्राम चल रहा है. इस समय गगनयान मिसन को लेकर बहुत सारा काम चल रहा है. उम्मीद है कि इस साल के अंत तक सारे टेस्ट, ट्रायल्स सब पूरे हो जाएंगे.
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इससे पहले भी इसरो ने यह कहा था कि इस साल गगनयान की कम से कम एक मानवरहित उड़ान (Uncrewed Mission) जरूर करेगा. वह भी जून महीने से पहले. इसके अलावा एक स्वतंत्र एबॉर्ट टेस्ट (Abort Test) होगा, वह भी स्पेशल टेस्ट व्हीकल से. यानी नए रॉकेट से. इसके होने की संभावना अक्टूबर के महीने में है. इसरो चीफ S. Somanath ने कहा कि वैज्ञानिक दोनों ही मिशन के लिए काम कर रहे हैं.
इसरो चीफ ने कहा था कि हम पहले मानवरहित मिशन करेंगे. उसके बाद एबॉर्ट टेस्ट करेंगे. यानी TV-D2 (Test Vehicle- Demonstration 2). इसरो ये दोनों ही मिशन अपनी तैयारियों के अनुसार ही करेगा. ये भी हो सकता है कि दूसरा वाला मिशन पहले या पहला वाला बाद में हो. या फिर जो तय किया गया है उसी हिसाब से किया जाए.
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एबॉर्ट मिशन पहले होगा या मानवरहित उड़ान
सोमनाथ ने बताया कि एबॉर्ट मिशन मानवरहित मिशन से पहले ही किया जाना चाहिए. हालांकि पहले मानवरहित मिशन में सर्विस मॉड्यूल नहीं जाएगा. सिर्फ महिला रोबोट Vyommitra को भेजा जाएगा. फिलहाल यह फैसला इसरो बाद में करेगा कि व्योमित्र को पहले मिशन में भेजा जाएगा या फिर दूसरे मिशन में. अंतिम लॉन्चिंग से पहले दो मानवरहित उड़ान होना जरूरी है, ताकि गगनयान के एस्ट्रोनॉट्स को किसी तरह की दिक्कत न हो.
धरती की निचली कक्षा तक मानवरहित उड़ान
इसरो चीफ ने बताया कि कम से कम इस साल एक मानवरहित उड़ान तो होगी ही. पहला टारगेट यही है कि इसे 2024 की पहली छमाही से पहले पूरा कर लिया जाए. माहनवरहित उड़ान के दौरान गगनयान मिशन की तकनीकी को जांचा जाएगा. यह उड़ान धरती की निचली कक्षा (Lower Earth Orbit – LEO) तक जाएगा.
गगनयान से जुड़ी अन्य तकनीकों का विकास होगा
इसमें व्योमित्र के शरीर में होने वाले बदलावों की स्टडी की जाएगी. क्योंकि इसमें वो बेसिक तकनीक डाली गई है, जो इंसानों को अंतरिक्ष में होने वाले असर के बारे में बताएंगे. इस दौरान इसरो मिशन कंट्रोल, कम्यूनिकेशन नेटवर्क और जरूरी लॉन्च कॉम्प्लेक्स फैसिलिटी भी बनाता रहेगा.
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