Maharashtra: 'चाय पार्टी' का किया बहिष्कार, अब सदन में होगा तकरार! विधानसभा का बजट सत्र आज से, टकराव की आशंका

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Maharashtra: 'चाय पार्टी' का किया बहिष्कार, अब सदन में होगा तकरार! विधानसभा का बजट सत्र आज से, टकराव की आशंका

Maharashtra: महाराष्ट्र में सियासी तूफान के बीच के सोमवार से विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने वाला है. ऐसे में महाराष्ट्र विधानसभा के सोमवार से शुरू हो रहे बजट सत्र में शिवसेना के दोनों गुटों के बीच चल रही राजनीतिक व कानूनी लड़ाई की गूंज सुनाई देने की आशंका जतायी जा रही है. बता दें कि इससे पहले, विपक्षी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) और कांग्रेस ने रविवार को सरकार द्वारा आयोजित ‘चाय पार्टी’ का बहिष्कार किया था.

विपक्ष के बहिष्कार के कदम को लेकर CM शिंदे ने साधा निशाना

इससे पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विपक्ष के बहिष्कार के कदम को लेकर निशाना साधते हुए कहा है कि अच्छी बात है कि आतंकवादी दाऊद इब्राहिम के साथ संबंध रखने वाले इस चाय पार्टी में नहीं आए. बताया जा रहा है कि शिंदे का इशारा संभवत: राज्य के पूर्व मंत्री एवं राकांपा नेता नवाब मलिक की ओर था, जो दाऊद इब्राहिम तथा उसके साथियों की गतिविधियों से जुड़े धनशोधन के मामले में पिछले साल गिरफ्तारी के बाद से जेल में हैं.

राज्यपाल रमेश बैस के पहले संबोधन के साथ शुरू होगा बजट सत्र

जानकारी हो कि बजट सत्र संयुक्त बैठक में नव-नियुक्त राज्यपाल रमेश बैस के पहले संबोधन के साथ शुरू होगा. उप-मुख्यमंत्री एवं राज्य के वित्त मंत्री देवेंद्र फडणवीस नौ मार्च को विधानसभा में शिंदे की अगुवाई वाली सरकार का पहला बजट पेश करेंगे. साथ ही महा विकास आघाड़ी (एमवीए) इस एक महीने लंबे सत्र के दौरान सार्वजनिक हित के मुद्दों पर शिंदे-भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश करेगा.

MVA में राकांपा, कांग्रेस और उद्धव ठाकरे गुट शामिल

बता दें कि एमवीए में राकांपा, कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) शामिल हैं. हाल ही में महाराष्ट्र में असली शिवसेना को लेकर विवाद को कुछ दिनों के लिए एक विराम मिला, जब चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को ही असली शिवसेना का दर्जा देते हुए पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह उनके नाम किया. इसके बाड से उद्धव ठाकरे गुट के नेताओं ने चुनाव आयोग के निर्णय पर जमकर हमला बोला. विपक्ष ने इसे लोकतंत्र के लिए काला दिन बताया था. अब ऐसे में यह मुद्दा इस सत्र में कितना उठता है और महाराष्ट्र की राजनीति में कौन स नया मोड़ आता है यह देखना होगा.

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