नयी दिल्ली. अडाणी समूह के शेयरों में गिरावट को लेकर बढ़ते विवाद के बीच सेबी ने शनिवार को कहा कि वह शेयर बाजार में निष्पक्षता, कुशलता और उसकी मजबूत बुनियाद बनाये रखने के साथ सभी जरूरी निगरानी सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। बाजार नियामक ने कहा कि विशिष्ट शेयरों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए उपाय किए जा रहे हैं।
सेबी ने अडाणी समूह का नाम लिए बिना एक बयान में कहा कि पिछले सप्ताह एक कारोबारी समूह के शेयरों की कीमत में असामान्य रूप से उतार-चढ़ाव देखा गया है। अधिकारियों ने पुष्टि की कि यह बयान अडाणी मामले के मद्देनजर ही जारी किया गया है। अमेरिका स्थित ‘शार्ट सेलर’ हिंडनबर्ग रिसर्च ने गौतम अडाणी के अगुवाई वाले समूह पर फर्जी लेनदेन और शेयर कीमतों में हेराफेरी के आरोप लगाए थे, जिसके बाद अडाणी की कंपनियों के शेयरों में तेज गिरावट हुई।
अडाणी समूह ने इन आरोपों को झूठा बताया है और कहा कि उसने सभी कानूनों और नियामक खुलासों का पालन किया है। हालांकि, इसके बावजूद अडाणी समूह की 10 सूचीबद्ध कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में कुल मिलाकर 8.5 लाख करोड़ रुपये की गिरावट हो चुकी है। यह गिरावट छह कारोबारी सत्रों में हुई। अडाणी एंयरप्राइजेज ने अपने 20,000 करोड़ रुपये के अनुवर्ती सार्वजनिक पेशकश (एफपीओ) को भी वापस ले लिया।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बयान में कहा, ”अपनी जिम्मेदारी के तहत सेबी बाजार के व्यवस्थित और कुशल कामकाज को बनाए रखना चाहता है। किसी खास शेयर में अत्यधिक उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए अच्छी तरह से परिभाषित, सार्वजनिक रूप से उपलब्ध निगरानी उपाए (एएसएम ढांचे सहित) मौजूद हैं।”
यह भी पढ़ें
बयान के मुताबिक, ”यह व्यवस्था किसी भी शेयर की कीमतों में उतार-चढ़ाव होने पर कुछ शर्तों के तहत अपने आप सक्रिय हो जाती है।” शेयर बाजारों – बीएसई और एनएसई ने अडाणी समूह की तीन कंपनियों – अडाणी एंटरप्राइजेज, अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन और अंबुजा सीमेंट्स – को अपने अल्पकालिक अतिरिक्त निगरानी उपाय (एएसएम) के तहत रखा है।
इसका मतलब है कि ‘इंट्रा-डे ट्रेडिंग’ के लिए 100 प्रतिशत अपफ्रंट मार्जिन लागू होगा, ताकि इन शेयरों में सट्टेबाजी और ‘शॉर्ट-सेलिंग’ को रोका जा सके। सेबी ने कहा कि सभी विशिष्ट मामलों के संज्ञान में आने के बाद नियामक मौजूदा नीतियों के अनुसार उनकी जांच करता है और उचित कार्रवाई करता है।
कई विपक्षी नेताओं और कुछ विशेषज्ञों ने अडाणी मुद्दे पर कार्रवाई नहीं करने के लिए सेबी पर सवाल उठाए हैं। इस मुद्दे पर दो दिन संसद की कार्रवाई भी बाधित रही। कुछ राजनेताओं ने इस मामले में जांच के लिए सेबी और सरकार को पत्र भी लिखा है। विपक्ष दल संयुक्त संसदीय समिति से जांच की मांग भी कर रहे हैं। नियामक ने हालांकि स्पष्ट रूप से यह नहीं बताया कि वह इस मामले में कोई जांच कर रहा है या नहीं। (एजेंसी)