इस साल राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जिससे पहले कांग्रेस और भाजपा ने कमर कस ली है. सबकी निगाह कांग्रेस पर है. ऐसा इसलिए क्योंकि चुनाव से पहले सचिन पायलट कई कार्यक्रम कांग्रेस को मजबूती प्रदान करने के लिए करने वाले हैं. ऐसी संभावना जतायी जा रही है कि उनके कार्यक्रम में सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शिरकत नहीं करेंगे. खबरों की मानें तो सीएम गहलोत चुनाव से पहले महत्वपूर्ण बजट में व्यस्त हैं.
यदि आपको याद तो कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा जब राजस्थान में थी तो सचिन पायलट के साथ-साथ सीएम अशोक गहलोत ने इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. अब सचिन पायलट किसान सम्मेलन राज्यभर में करने वाले हैं. ऐसा बताया जा रहा है इस सम्मेलन से कांग्रेस के जनाधार को राजस्थान में मजबूती मिलेगी.
सचिन पायलट का कार्यक्रम
सचिन पायलट की किसान सम्मेलन रैलियां 16, 17, 18 और 19 को नागौर, हनुमानगढ़, झुंझुनू और पाली में आयोजित की जाएंगी. सचिन पायलट का यह कार्यक्रम और प्रियंका गांधी वाड्रा की महिला रैलियों की शुरुआत का तालमेल सही तरीके से बैठाया गया है. आपको बता दें कि 26 जनवरी से प्रियंका गांधी वाड्रा की महिला रैलियों की शुरुआत होने वाली है. 20 जनवरी को सचिन पायलट जयपुर के महाराजा कॉलेज में युवा सम्मेलन का नेतृत्व करते नजर आने वाले हैं.
सचिन पायलट का क्या चलेगा जादू
2018 में राजस्थान में और पिछले साल हिमाचल प्रदेश में जमीनी स्तर के चुनाव कार्य के माध्यम से कांग्रेस को जीत दिलाने में सचिन पायलट की भूमिका अहम बतायी जाती है. पायलट के कदम को राजस्थान और पार्टी दोनों के संदर्भ में जमीनी स्तर पर हिट करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. अब देखने वाली बात होगी कि सचिन पायलट आने वाले दिनों में कांग्रेस को कितना फायदा दिला पाते हैं.
‘भारत जोड़ो यात्रा’ में पायलट रहे सक्रिय
सचिन पायलट के करीबी के हवाले से न्यूज वेबसाइट एनडीटीवी ने खबर प्रकाशित की है कि राजस्थान में लीडरशिप को लेकर एक चैलेंज है. 45 साल के पायलट के सामने चुनौती है कि वो कैसे अपने कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को जोड़ते हैं और उसे कांग्रेस के पक्ष में करते हैं. सचिन पायलट के लिए राजस्थान उनकी कर्मभूमि है और वे प्रदेश में सक्रिय रहना चाहते हैं. ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में पायलट सक्रिय भूमिका में नजर आ चुके हैं.
राजस्थान में सरकार गिरने तक की आ गयी थी नौबत
राजस्थान में शीर्ष पद की आकांक्षा लिये पायलट ने पिछले चुनाव में पूरा जोर कांग्रेस को जिताने के लिए लगा दिया था. इसके बाद राहुल गांधी ने उन्हें डिप्टी सीएम के लिए मना लिया था. इसके बाद सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच रिश्तों में खटास पैदा हो गयी और सूबे में सरकार गिरने तक की नौबत आ गयी. इसके बाद किसी तरह स्थिति को संभाला गया था.