मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का समय एक वर्ष तक किया जाए:भाकपा
– आमजनमानस के मन से डर निकाला जाए
– एस आई आर को लेकर लोगों पर अनावश्यक दबाव न बनाया जाए
– सोनभद्र की भौगोलिक स्थिति और रोजी-रोटी की तलाश में अन्य शहरों को पलायन कर चुके ग्रामीणों,आदिवासियों मजदूरों के प्रति मतदाता पुनरीक्षण की तिथि और आगे बढ़ाया जाए; आर के शर्मा
सोनभद्र ब्यूरो चीफ दिनेश उपाध्याय-(ओबरा/सोनभद्र/उत्तर प्रदेश)–डिजिटल भारत न्यूज टुडे नेटवर्क 24×7 LIVE
सोनभद्र।भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (उ.प्र.) के राज्य कार्यकारिणी सदस्य व सोनभद्र के जिला सचिव कामरेड आर के शर्मा द्वारा गुरुवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि उत्तर प्रदेश में इलेक्शन कमिशन आफ इंडिया ने SIR (Special Intensive Revision) मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन का अभियान घोषित किया हुआ है, जो 4 नवंबर 2025 से शुरू हो गया है और 4 दिसंबर 2025 तक चलेगा।भाकपा नेता ने कहा कि इस सीमित अवधि में मतदाताओं को फार्म प्राप्त करने , उसको भरने तथा बीएलओ से संपर्क करने एवं उसके लिए समय निकालने में भारी परेशानी हो रही है।

यह सब ऐसे समय किया जा रहा है जब प्रदेश में शादी विवाह का सीजन है और इस शादी व्याह के सीजन के साथ साथ किसानों और खेत मजदूरों की भी व्यस्तता है। जनपद सोनभद्र की बात किया जाय तो यहां के अधिकांश ग्रामीण व आदिवासी मजदूर इस समय धान की कटाई और रोजी-रोटी कमाने में अन्य जिलों में प्रवास कर रहे है।फिर 4 दिसंबर 2025 को यह अभियान समाप्त भी हो जाएगा। जबकि सोनभद्र भौगोलिक रूप से वृहद क्षेत्रफल वाला जनपद है,जहां नेटवर्क प्राब्लम के साथ अधिकांशतः अशिक्षित भी हैं,जनपद की चारों विधानसभा को मिलाकर वर्तमान में 1079 बूथ और 13 लाख से अधिक मतदाता हैं। वास्तव में इतने मतदाताओं का सत्यापन होना एक महीने में होता हुआ नहीं दिखता है। जनता फॉर्म के लिए परेशान है।बीएलओ को ढूंढ रही है और दूसरी तरफ उनको सस्पेंड किया जा रहा है और खबर है कि एस आई आर के कारण अनावश्यक दबाव के चलते जौनपुर के रहने वाले गोंडा में तैनात शिक्षक ने और फतेहपुर में लेखपाल ने आत्महत्या कर ली। प्रदेश के अन्य जगहों से भी ऐसी दुखद खबरें हैं। एसआईआर को लेकर समाज में अफरा तफरी मची हुई है। लोगों में डर है कि अगर फार्म न भरा गया तो कहीं उनकी नागरिकता न समाप्त कर दी जाए। जैसा कि बिहार के वोटर गणना में 70 लाख मतदाता बाहर कर दिए गए, जो लोगों की स्मृति में है। उत्तर प्रदेश राज्य में बड़ी संख्या में लोग साक्षर नहीं हैं ।फार्म अपने आप भर भी नहीं सकते हैं ,ना ही उनके पास तत्काल रखी हुई हाल की फोटो है। वर्तमान में इलेक्शन कमीशन ने इन सब फैक्टर को संज्ञान में नहीं लिया। भाकपा नेता कामरेड आर के शर्मा ने जोर देते हुए कहा कि गहन पुनरीक्षण करवाना है तो कम से कम एक साल का समय होना चाहिए। ताकि प्रत्येक मतदाता को यह समझ में आ जाए कि उसको क्या करना है और फॉर्म को कैसे भरना है।उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि इलेक्शन कमिशन की पक्षधरता सिर्फ सत्ताधारी पार्टी के राजनीतिक हित साधने के लिए ही दिखाई देती है। इलेक्शन कमिशन बिल्कुल भी निष्पक्ष नहीं दिख रहा है। इलेक्शन कमीशन के इस निर्णय के विरुद्ध अनेकों पिटिशन सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है।आर के शर्मा यह भी जिक्र किया कि पिछले दिन उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा के हवाले से एक अखबार ने खबर लिखा है कि 24 नवंबर तक कुल 4 करोड़ 29 लाख गणना फॉर्म जमा हुए हैं जबकि 4 दिसंबर तक 11 करोड़ फार्म जमा होने का लक्ष्य है।इस आंकड़े पर ताज़्जुब होता है। जब 20 दिन में 4.29 करोड़ फार्म ही जमा हुए हैं तो ऐसे में 4 दिसंबर तक 11 करोड़ फार्म जमा होने का लक्ष्य जरा टेढ़ी खीर लगता है।भाकपा नेता कामरेड आर के शर्मा ने इलेक्शन कमिशन से मांग की है कि इन हालात के मद्देनजर इस एक्सरसाइज को तत्काल रोक दिया जाए,लोगों पर अनावश्यक दबाव न बनाया जाए और उत्तर प्रदेश में सन् 2026 में होने वाले पंचायती चुनाव सन् 2024 की वोटर लिस्ट के अनुसार ही करवाए जाएं और एसआईआर के लिए पूरा एक साल का समय दिया जाए ताकि कोई भी वोटर छूटने न पाए और सबके मन से यह भी डर दूर हो कि वोटर न बनने से उनकी नागरिकता चली जाएगी।


