ग्राम बुतबेढ़वा की सरकारी भूमि पर हो सामाजिक उपयोग – ग्रामीणों की मांग

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विंढमगंज (सोनभद्र) ( प्रेमचंद की रिपोर्ट )

क्षेत्र के ग्राम बुतबेढ़वा में स्थित वह सरकारी भूमि, जिस पर कभी आवारा पशुओं को बाँधने का काम किया जाता था, आज उपेक्षा और गंदगी का शिकार बन गई है। ग्रामीणों का कहना है कि पहले जब खेतों में आवारा पशु घुसकर फसल को नुकसान पहुँचाते थे, तो उन्हें इस हाते में बाँधकर रखा जाता था। इससे किसानों की फसल सुरक्षित रहती थी और गाँव में व्यवस्था भी बनी रहती थी। लेकिन अब यह व्यवस्था पूरी तरह से बंद हो चुकी है और यह भूमि बिना किसी उपयोग के खाली पड़ी हुई है।

ग्रामीण बताते हैं कि प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के कारण यह जमीन धीरे-धीरे गंदगी और अव्यवस्था का केंद्र बन गई है। यहाँ झाड़-झंखाड़ उग आए हैं और लोग इसे खुले में शौच व पेशाबघर के रूप में इस्तेमाल करने लगे हैं। इसके चलते न केवल आसपास बदबू फैलती है बल्कि संक्रमण और बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यह सरकारी खाते की भूमि है और इस पर ऐसी स्थिति होना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है।

गाँव के लोगों ने अपनी स्पष्ट मांग रखते हुए कहा है कि इस भूमि की चारदीवारी (बाउंड्री वॉल) बनवाई जाए, ताकि यह संरक्षित रहे और इसका दुरुपयोग न हो सके। साथ ही इसे सामाजिक और जनहितकारी कार्यों के लिए उपयोग में लाया जाए। ग्रामीण चाहते हैं कि यहाँ सामुदायिक भवन, पुस्तकालय, स्वास्थ्य केंद्र, या बच्चों के लिए खेल मैदान जैसी सुविधाएँ विकसित की जाएँ। उनका मानना है कि यदि इस भूमि का सही उपयोग किया गया तो यह गाँव की प्रगति और लोगों की सुविधा दोनों के लिए लाभकारी होगा।

ग्रामीणों का आरोप है कि अब तक प्रशासनिक स्तर पर इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने जिलाधिकारी महोदय से विशेष रूप से निवेदन किया है कि वे शीघ्र संज्ञान लें और इस भूमि को गाँव व समाजहित में प्रयोग करने की दिशा में पहल करें। ग्रामीणों को विश्वास है कि यदि जिला प्रशासन इस ओर ध्यान देगा तो बुतबेढ़वा गाँव की यह सरकारी भूमि विकास और सामाजिक गतिविधियों का केंद्र बन सकती है।

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