पाक्सो एक्ट: दोषी विकास को 20 वर्ष की कठोर कैद

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पाक्सो एक्ट: दोषी विकास को 20 वर्ष की कठोर कैद

* 60 हजार रूपये अर्थदंड, न देने पर 3 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी

* जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित होगी

* अर्थदंड की धनराशि में से 50 हजार रूपये पीड़िता को मिलेगी

* तीन वर्ष पूर्व 16 वर्षीय नाबालिग लड़की के साथ शादी का झांसा देकर बलात्कार करने और गर्भ ठहरने पर शादी से इनकार करने का मामला

सोनभद्र ब्यूरो चीफ दिनेश उपाध्याय-(ओबरा/सोनभद्र/उत्तर प्रदेश)डिजिटल भारत न्यूज टुडे नेटवर्क 24×7 LIVE

सोनभद्र। तीन वर्ष पूर्व 16 वर्षीय नाबालिग  लड़की के साथ शादी का झांसा देकर  बलात्कार करने व गर्भ ठहरने पर शादी से इनकार करने के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश / विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट सोनभद्र अमित वीर सिंह की अदालत ने शनिवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर  दोषी विकास को 20 वर्ष की कठोर कैद एवं 60 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 3 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में  बितायी अवधि सजा में समाहित होगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से 50 हजार रूपये पीड़िता को मिलेगी।अभियोजन पक्ष के मुताबिक चोपन थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी पीड़िता के पिता ने 11 जनवरी 2022 को  चोपन थाने में दी तहरीर में  आरोप लगाया था कि उसकी 16 वर्षीय नाबालिग लड़की के साथ शादी का झांसा देकर विकास पुत्र रामेश्वर हलवाई निवासी कन्हौरा, थाना चोपन, जिला सोनभद्र अवैध संबंध बनाता रहा। जब बेटी को करीब 3 माह का गर्भ ठहर गया तो उसने शादी करने से इनकार कर दिया। इतना ही नहीं विकास के माता पिता ने भी शादी करने से इनकार कर दिया। इस तहरीर पर पुलिस ने 11 जनवरी 2022 को बलात्कार व पाक्सो एक्ट में एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू कर दिया। विवेचक ने बयान लेने के बाद  पर्याप्त सबूत मिलने पर कोर्ट में बलात्कार और पाक्सो एक्ट में चार्जशीट दाखिल किया था।


मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, 7 गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी विकास को 20 वर्ष की कठोर कैद एवं  60 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई।  अर्थदंड न देने पर 3 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित की जाएगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से 50 हजार रूपये पीड़िता को मिलेगी। अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी वकील दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी एवं नीरज कुमार सिंह ने बहस की।

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