कथा के अंतिम दिन भावुक हुए श्रद्धालु
दुद्धी/सोनभद्र:भागवत कथा के सप्तम दिवस में शनिवार शाम भक्ति की श्रेष्ठता को और वियोग के पूर्णता को दर्शाते हुए व्यास जी ने बताया कि प्रेम के बाद वियोग और वियोग से ही भगवान की प्राप्ति होती है परंतु जब वियोग पूर्ण हो तब तो केवल भगवान ही भगवान दिखाई पड़ते है कबीर जी ने कहा है जब मैं था हरि नहीं अब हरि है मैं नाय अर्थात वियोग से अहंकार समाप्त होते है हृदय से कपट छल क्षेदम छूट कपट निंदा समाप्त हो जाते है तब कही जाकर कड़ कड़ में व्याप्त छड़ छड़ में प्रतिष्ठित परम पिता परमेश्वर का दया भाव में दर्शन देना सुलभ हो पाता है।
फिर भगवान ऊंच नीच छोटा बढ़ा गरीब अमीर किसी को नहीं देखते है।भगवान ने तो केवल प्रेम और सद्भाव को देखा है भक्त के करुण पुकार को ही देखा है इसीलिए तो विदुर को मिले सबरी को मिले ध्रुव को मिले प्रहलाद को मिले ऐसे हजारों नाम है जिनकी महिमा भगवान स्वय गाते है।क्या यह जीव भगवान की पुकार करता है तो क्या भगवान कृपा नहीं करेंगे ऐसी कथा कहते हुए सुदामा जैसे गरीब ब्राह्मण पर कृपा कर के भगवान ने त्रिलोकाधिपति बना दिया।भगवान ऐसे कृपालु है कि भक्त के ऊपर सर्वश्र न्योकक्षावर कर देते है इसीलिए शायद दत्तात्रेय भगवान को चौबीस गुरुओं का सहारा मिला।फिर सभी भक्तों ने वृन्दावन से आए बाल व्यास मानस जी का पूजन करके नम आंखों से बिलखते हुए भक्तों ने विदाई दिया।पर एक ब्रजवासी भला इतने प्रेमी लोगों को रोते हुए कैसे छोड़ सकता है ऐसा कहते हुए उन्होंने बृज मंडल ने प्रसिद्ध दिव्य होली का उत्सव मनाया प्रतीत हो रहा था साक्षात् भगवान आकर के दुद्धी में होली का आनंद के थे।रविवार की सुबह हवन पूजन के साथ भंडारा का आयोजन देर शाम हुआ।इस दौरान आयोजक समिति के अध्यक्ष राकेश आजाद उपाध्यक्ष संदीप तिवारी,राकेश गुप्ता रमाशंकर सिंह राजेश श्रीवास्तव बृजेश यादव,ओमकार अग्रहरि कृष्ण कुमार अग्रहरि,भोला नाथ अग्रहरि,कृष्ण कुमार सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।