पाकिस्तान में कब बनेगी सरकार? नतीजों के 9 दिन बाद भी नवाज-बिलावल में नहीं बनी बात

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पाकिस्तान में कब बनेगी सरकार? नतीजों के 9 दिन बाद भी नवाज-बिलावल में नहीं बनी बात

पाकिस्तान में चुनाव को एक हफ्ते से ज्यादा बीत जाने के बाद भी सरकार का गठन नहीं हो सका है. नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन और बिलावल भुट्टो-जरदारी की पार्टी पीपीपी में सरकार बनाने पर बात चल रही है लेकिन कुछ फाइनल नहीं हुआ है. स्थानीय मीडिया ने रविवार को बताया कि दोनों दलों में सत्ता शेयरिंग पर बात बेनतीजा रही है लेकिन दोनों ही दल आगे भी बातचीत जारी रखने पर सहमत हैं.

पीएमएल-एन और पीपीपी के बीच शनिवार को सत्ता शेयरिंग के मामले पर बैठक हुई थी. हालांकि, इस बैठक में कोई फैसला नहीं हो सका. बातचीत को अंतिम रूप देने के लिए दोनों दलों ने सोमवार को भी बैठक बुलाई है. पीएमएल-एन की तरफ से बयान में कहा गया है कि एक “मजबूत लोकतांत्रिक सरकार” की जरूरत पर दोनों पक्षों की बातचीत अच्छी रही है.

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नवाज-बिलावल की पार्टी में अब कल होगी बात

पीएमएल-एन और पीपीपी के साझा बयान में कहा गया है, “दोनों पक्षों द्वारा रखे गए प्रस्तावों पर गहन चर्चा की गई, और बातचीत में प्रगति आई, लेकिन मौजूदा मामलों को अंतिम रूप देने के लिए और विचार-विमर्श की जरूरत है.” अगली बैठक सोमवार को रखी गई है. नवाज शरीफ के नेतृत्व वाली पीएमएल-एन ने शहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद के लिए नामित किया है. भुट्टो परिवार नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री बनाने के पक्ष में नहीं है.

पाकिस्तान चुनाव के नतीजे

पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के समर्थित उम्मीदवरों ने 8 फरवरी के चुनाव में नेशनल असेंबली की 93 सीटें जीती थीं. हालांकि, पार्टी के अभाव में और समर्थन ना मिलने की वजह से वे सरकार बनाने में विफल रहे. 265 सीटों पर हुए चुनाव में नवाज की पार्टी को 75 सीटें मिली थीं और भुट्टो की पार्टी ने 57 सीटें हासिल कीं. इनके अलावा मुत्तहिद कौमी मूवमेट्स-पाकिस्तान ने 17 सीटें जीतीं, जो संभावित शहबाज सरकार का हिस्सा होंगे.

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पीपीपी को राष्ट्रपति पद मिलने की उम्मीद

पाकिस्तान में सरकार बनाने के लिए, किसी पार्टी को 266 सदस्यीय नेशनल असेंबली में लड़ी गई 265 सीटों में से 133 सीटें जीतनी थीं. हालांकि, किसी भी पार्टी ने बहुमत हासिल नहीं की. बिलावल भुट्टो-जरदारी की पार्टी पीपीपी ने पीएमएल-एन को इस मांग के साथ समर्थन दिया है कि उन्हें राष्ट्रपति पद के साथ और भी कुछ अमह मंत्रालय मिलेंगे. पीपीपी ने यह भी ऐलान किया है कि केंद्र में पीएमएल-एन को समर्थन देने के बावजूद, पार्टी संघीय मंत्रिमंडल में मंत्रालय नहीं लेगी.

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