राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य मेंबौद्धिक संगोष्ठी का किया गया सुंदर आयोजन

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राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य मेंबौद्धिक संगोष्ठी का किया गया सुंदर आयोजन

सोनभद्र ब्यूरो चीफ दिनेश उपाध्याय-(ओबरा/सोनभद्र/उत्तर प्रदेश)डिजिटल भारत न्यूज टुडे नेटवर्क 24×7 LIVE
सोनभद्र/ओबरा। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ओबरा,सोनभद्र में राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में बौद्धिक संगोष्ठी का सुंदर आयोजन किया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय के प्राचार्य, प्राध्यापकों, कर्मचारियों, एनएसएस, एनसीसी के स्वयंसेवकों के साथ-साथ महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा सामूहिक रूप से राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के गायन के साथ किया गया। तत्पश्चात भारत माता की जय एवं वंदे मातरम के जयघोष से महाविद्यालय का पूरा परिसर गूंज उठा। तत्क्रम में आयोजित बौद्धिक संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर डॉ. प्रमोद कुमार ने बताया कि हमारे राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम की हमारे देश को स्वाधीनता दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यह क्रांतिकारी में अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष करने के लिए जोश भरने तथा उन्हें मातृभूमि पर मर मिटने के लिए उनका प्रेरणा स्रोत रहा है। राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. सुभाष राम ने बताया कि वंदे मातरम गीत के राष्ट्रीय महत्व को देखते हुए हमारे देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद जी ने दिनांक 24 जनवरी 1950 को वंदे मातरम को राष्ट्रीय गीत के रूप में अंगीकार करने की घोषणा की थी।

इतिहास विभाग अध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार सैनी ने राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के इतिहास एवं महत्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया कि वंदे मातरम को बंकिम चंद्र चटर्जी (चट्टोपाध्याय) द्वारा 7 नवंबर 1875 को लिखा गया तथा इसे सर्वप्रथम बंग दर्शन नामक मासिक पत्रिका में प्रकाशित कराया गया, तत्पश्चात उन्होंने इसे अपने प्रसिद्ध उपन्यास आनंद मठ में 1882 में सम्मिलित किया। इस गीत का शाब्दिक अर्थ है “मां तुझे प्रणाम। इस गीत ने जहां एक ओर भारतीयों को अपनी मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए उन्हें प्रेरित किया, उनके अंदर क्रांति की मशाल को जलाए रखा, वही दूसरी ओर इसने अंग्रेजों की नींद उड़ा रखी थी। डॉ. विकास कुमार ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस अवसर पर श्री उपेंद्र कुमार, डॉ. आलोक यादव, डॉ. सचिन कुमार, डॉ. संघमित्रा इत्यादि प्राध्यापकगण , कर्मचारी गणों में धर्मेंद्र कुमार, महेश पांडेय, कुंदन तथा भारी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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