विंढमगंज में नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की भव्य आरती और पूजन

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विंढमगंज, सोनभद्र।

शारदीय नवरात्रि के पांचवें दिन दिनांक  26-09-2025 को मां दुर्गा के पंचम स्वरूप स्कंदमाता की आराधना का आयोजन मां काली मंदिर शक्तिपीठ विंढमगंज में बड़े ही श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ किया गया। सुबह से ही मंदिर परिसर भक्तों की भीड़ से गूंज उठा। श्रद्धालुओं ने मां स्कंदमाता के चरणों में दीप, पुष्प और नारियल अर्पित कर सुख-समृद्धि एवं परिवार के मंगल की कामना की।

मां स्कंदमाता को भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की जननी के रूप में जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता सिंह पर विराजमान होती हैं और गोद में बाल स्कंद को धारण करती हैं। पंचमुखी स्वरूप की धारण करने वाली स्कंदमाता को विशेष रूप से ‘मुक्तिदायिनी’ कहा गया है। भक्तों का विश्वास है कि इनके पूजन से संतान सुख की प्राप्ति होती है और जीवन में सभी प्रकार की बाधाओं का नाश होता है।

पूजन विधि का शुभारंभ वेद मंत्रों और घंटे-घड़ियाल की ध्वनि के बीच हुआ। समिति के पदाधिकारियों और भक्तों ने मिलकर माता की आरती उतारी। इस अवसर पर दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष श्री रवि शंकर जायसवाल ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि स्कंदमाता का पूजन करने से व्यक्ति को अलौकिक शांति और वैभव की प्राप्ति होती है। उन्होंने बताया कि माता अपने भक्तों को परिवार सहित मोक्ष का आशीर्वाद देती हैं। श्री जायसवाल ने यह भी कहा कि नवरात्रि का हर दिन देवी के अलग-अलग स्वरूपों की महिमा से जुड़ा होता है और पंचमी के दिन स्कंदमाता का पूजन विशेष फलदायी माना जाता है।

अध्यक्ष रविशंकर जायसवाल माँ काली मंदिर दुर्गा पूजा समिति

 

पूजन के बाद भव्य आरती का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। आरती के दौरान मंदिर परिसर “जय स्कंदमाता” और “जय माता दी” के जयघोष से गूंज उठा। आरती के पश्चात भंडारे का आयोजन हुआ, जहां भक्तों को प्रसाद वितरित किया गया। प्रसाद पाकर श्रद्धालु धन्य महसूस कर रहे थे।

पूरे आयोजन में श्रद्धालुओं की उमंग और आस्था स्पष्ट दिखाई दी। महिलाएं और बच्चे पारंपरिक वेशभूषा में सजे हुए थे और भक्तिमय वातावरण में झूम रहे थे। पांचवें दिन का यह आयोजन विंढमगंज की धार्मिक परंपरा और आस्था की गहराई को एक बार फिर उजागर करता है।

इस प्रकार नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा-आराधना ने श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक आनंद और धार्मिक उत्साह से परिपूर्ण कर दिया।

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