हरतालिका तीज पर उमड़ा आस्था का सैलाब, सुहागिन महिलाओं ने रखा निर्जला व्रत |
संवाददाता — चंद्रशेखर प्रसाद, कोन | जनपद सोनभद्र- (उo प्रo)
डोमा/क्षेत्रीय। भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि पर मंगलवार 26 अगस्त 2025 को हरतालिका तीज का पावन पर्व पूरे आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया गया। सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की दीर्घायु, वैवाहिक सुख और पारिवारिक समृद्धि की कामना करते हुए दिनभर निर्जला व्रत रखा और देर रात तक पूजा-अर्चना व भजन-कीर्तन में लीन रहीं।

हरतालिका तीज का धार्मिक महत्व प्राचीन काल से जुड़ा है। मान्यता है कि माता पार्वती ने कठोर तपस्या कर यह व्रत रखा था और भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था। तभी से इस व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन महिलाएं प्रातःकाल स्नान कर श्रृंगार करती हैं और गौरी-शंकर की प्रतिमा स्थापित कर पूजन करती हैं।

डोमा गांव में तीज की रौनक
डोमा गांव में तीज पर्व की विशेष छटा देखने को मिली। गांव की महिलाएं परंपरागत परिधान और श्रृंगार में सजकर सामूहिक रूप से पूजा-पाठ में शामिल हुईं। केले के पत्तों से मंडप बनाकर शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित की गई। दिनभर पूजा, कथा और रातभर भजन-कीर्तन का आयोजन हुआ। महिलाओं ने निर्जला व्रत रखकर अपने पति के दीर्घायु जीवन की मंगल कामना की और व्रत का समापन बुधवार सुबह सूर्योदय के बाद पूजा-अर्चना के साथ किया।
तीज के प्रकार और महत्व
भारत में तीज के सात प्रमुख प्रकार मनाए जाते हैं, जिनमें हरियाली तीज, कजरी तीज, हरतालिका तीज, आखा तीज, गणगौर तीज, रंभा तीज और वराह तीज प्रमुख हैं। प्रत्येक तीज का धार्मिक महत्व अलग है, लेकिन सभी में सुहाग और वैवाहिक सुख की कामना निहित होती है। इनमें हरतालिका तीज सबसे कठिन मानी जाती है, क्योंकि इसमें महिलाएं निर्जल रहकर भगवान शिव-पार्वती की पूजा करती हैं।
अन्य पर्व भी मनाए गए
इसी दिन भोजपुरी क्षेत्र में चौरचंद का त्योहार भी धूमधाम से मनाया गया। यह पर्व भगवान गणेश और चंद्र देव को समर्पित है। विवाहित महिलाओं ने चंद्र पूजा की और विभिन्न पारंपरिक व्यंजन भी बनाए।
हरतालिका तीज और चौरचंद दोनों पर्वों ने ग्रामीण अंचलों के साथ-साथ नगर क्षेत्रों में भी धार्मिक और सांस्कृतिक माहौल को उल्लासमय बना दिया।


