काकोरी ट्रेन एक्शन डे शताब्दी समारोह पर बौद्धिक संगोष्ठी का हुआ आयोजन
सोनभद्र ब्यूरो चीफ दिनेश उपाध्याय-(ओबरा/सोनभद्र/उत्तर प्रदेश)–डिजिटल भारत न्यूज टुडे नेटवर्क 24×7 LIVE
ओबरा/सोनभद्र।आज दिनांक 8 अगस्त 2025 को राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ओबरा में काकोरी ट्रेन एक्शन डे शताब्दी समारोह के अवसर पर बौद्धिक संगोष्ठी का सुंदर आयोजन किया गया।संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर (डॉ.) प्रमोद कुमार ने बताया कि काकोरी ट्रेन एक्शन डे भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। यह अंग्रेजो शासन के विरुद्ध सशस्त्र क्रांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास था। मुख्य शास्ता प्रोफेसर राधाकांत पांडेय ने बताया कि काकोरी ट्रेन एक्शन डे क्रांतिकारियों द्वारा अंग्रेजों के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष करने हेतु धन एकत्रित करने की दिशा में किया गया।


एक महत्वपूर्ण प्रयास था। राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी एवं इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार सैनी ने काकोरी ट्रेन एक्शन डे के इतिहास पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया कि काकोरी ट्रेन एक्शन डे आपरेशन, अंग्रेजी शासन को भारत से उखाड़ फेंकने हेतु, सशस्त्र संघर्ष करने के निमित्त सरकारी खजाने को लूटकर, धन एकत्रित करने के लिए रामप्रसाद बिस्मिल ने अपने नौ क्राँतिकारी साथियों राजेंद्र लाहिड़ी, रोशन सिंह, सचींद्र बख्शी, अशफ़ाक़उल्ला ख़ां, मुकुंदी लाल, मन्मथनाथ गुप्त, मुरारी शर्मा, बनवारी लाल और चंद्रशेखर आज़ाद के साथ मिलकर 9 अगस्त 1925 को चलाया था।इसमें रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ के नेतृत्व में क्रांतिकारियों ने लखनऊ से 8 किमी की दूरी पर काकोरी के पास ट्रेन रोककर ब्रिटिश हुकूमत के सरकारी खजाने के 4679 रुपये, 01 आना और 06 पाई लूट लिए थे। एक छोटी सी जगह पर हुई इस घटना ने ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती देते हुए उसे हिला कर रख दिया था। इस घटना को अंजाम देने में सिर्फ़ 10 लोग शामिल थे लेकिन 40 से अधिक लोगों को गिरफ़्तार किया गया।अशफ़ाक़, रोशन सिंह, राजेंद्र लाहिड़ी, बनारसी लाल और कई अन्य व्यक्तियों को गिरफ़्तार कर लिया गया। सिर्फ़ चंद्रशेखर आज़ाद को पुलिस गिरप़्तार नहीं कर पाई। सबसे बाद में राम प्रसाद बिस्मिल गिरफ़्तार हुए।इन सब पर न सिर्फ़ डकैती बल्कि हत्या का भी मुक़दमा चला।अप्रैल, 1927 में मुक़दमे का फ़ैसला सुनाया गया।अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ, राजेंद्र लाहिड़ी, रोशन सिंह और राम प्रसाद बिस्मिल को फाँसी की सज़ा सुनाई गई. पूरे भारत में इसके ख़िलाफ़ प्रदर्शन हुए।उक्त बौद्धिक संगोष्ठी में डॉ. उपेंद्र कुमार,डॉ. बीना यादव इत्यादि प्राध्यापक गण, कार्यालय अधीक्षक श्री राजेश्वर रंजन प्रसाद, महेश पांडेय, अरुण कुमार, कुंदन ,मनीष, सरफुद्दीन, के साथ-साथ भारी संख्या में छात्र/छात्राएं उपस्थित रहे।


