विलेन बन छाए थे विनोद खन्ना, हीरो बनते ही पलटी किस्मत, 3 गलतियों से डूबा करियर, नहीं मिल सका स्टारडम

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विलेन बन छाए थे विनोद खन्ना, हीरो बनते ही पलटी किस्मत, 3 गलतियों से डूबा करियर, नहीं मिल सका स्टारडम

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अमिताभ बच्चन फिल्म इंडस्ट्री के एकमात्र ऐसे स्टार बचे हैं जो 70 के दशक से फिल्म इंडस्ट्री में एक महानायक के तौर पर बने हुए है. ऐसा नहीं है कि और भी स्टार नहीं हुए. शत्रुघ्न सिन्हा, विनोद खन्ना, सुनील दत्त, राज बब्बर, धर्मेंद्र, जीतेंद्र, ऐसे कई सितारे हैं, जो उस दौर में अमिताभ को टक्कर देते थे, लेकिन कोई अब तक उनकी बराबरी नहीं कर पाया. इनमें से एक ऐसा एक्टर था, जो अमिताभ बच्चन को लगातार टक्कर दे रहा था और दूसरा सुपरस्टार बन गया था लेकिन उसकी 3 गलतियों ने उन्हें पीछे कर दिया.

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Vinod khanna Three mistake

हम बात कर रहे हैं विनोद खन्ना की. विनोद ने फिल्मों में एक्टिंग के साथ-साथ फिल्म प्रोडक्शन और राजनीति की दुनिया में भी कदम रखा. वह अपने दौर के सबसे महंगे एक्टर थे. उन्हें स्टाइल और फैश आइकन भी कहा जाता था. 1970 के दशक में उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ-साथ बड़े पर्दे अपना दबदबा कायम रखा. लेकिन विनोद खन्ना की 3 प्रोफेशनल गलतियों ने उन्हें पछाड़ दिया.

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विनोद खन्ना ने साल 1968 आई सुनील दत्त स्टारर ‘मन का मीत’ बॉलीवुड में कदम रखा. और तेजी से खुद को एक मल्टीटैलेंटेड एक्टर तौर पर स्थापित कर लिया. फिल्म ‘मेरे अपने’ में एक एंग्री यंग मैन का रोल निभाने के लिए उनकी खूब सराहना हुई.

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फिल्म ‘मेरा गांव मेरा देश’,’पूरब और पश्चिम’, ‘सच्चा झूठा’ और ‘आन मिलो सजना’ जैसी फिल्मों में उनके नेगेटिव रोल थे. नेगेटिव रोल निभाने की वजह से उनके उनकी इमेज पर विलेन के तौर पर उभर चुकी थी. नेगेटिव रोल करना उनके लिए गलत साबित हुई.

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Vinod khanna Three mistake amitabh bachchan

विनोद खन्ना की शुरुआती सफलताओं के बावजूद उन्होंने करियर में कई गलत कदम उठाए, जिससे उनकी रफ्तार रुक गई. दूसरी गलती उनकी अमिताभ बच्चन संग हिट जोड़ी बनाना था. सोलो लीड पर वह ज्यादा कमाल नहीं कर सके.

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Vinod Khanna film

विनोद खन्ना ने ‘अमर अकबर एंथोनी’ और ‘परवरिश’ खून पसीना, मुकद्दर का सिकंदर जैसी फिल्मों में काम किया. फिल्में ब्लॉकबस्टर तो हुई, लेकिन सारा क्रेडिट अमिताभ बच्चन के खाते में गया. इससे उन्हें सपोर्टिंग रोल ही ऑफर होने लगे थे.

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विनोद खन्ना की तीसरी सबसे बड़ी गलती थी कि उन्होंने आधात्यम की राह चुन ली. साल 1982 में करियर के चरम पर गुरु ओशो रजनीश को फॉलो किया. वह 5 साल तक फिल्म इंडस्ट्री से दूर रहे जो उनके लिए हानिकारक साबित हुआ. उन्हें पहले जैसा स्टारडम हासिल करने के लिए संघर्ष करना पड़ा.

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विनोद खन्ना का तमाम असफलताओं के बावजूद भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में अमिट योगदान दिया. उनकी अदाकारी से आने वाली जनरेशन भी इंस्पायर होती है. विनोद खन्ना ने सेकेंड इनिंग्स में भी काम किए. वह ‘दबंग’ फ्रेंचाइजी की पहली 2 फिल्मों में सलमान खान के पिता के रोल में दिखे थे.

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