संवाददाता- उमेश कुमार भारती -(छत्तरपुर/पलामू/झारखण्ड)–डिजिटल भारत न्यूज 24×7 LIVE

छतरपुर (पलामू):राज्य सरकार की लापरवाही और विभागीय उदासीनता का खामियाजा नौडीहा बाजार की सैकड़ों छात्राएं पिछले एक दशक से भुगत रही हैं। 10 सालों से झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय को अपना भवन न होने के कारण छतरपुर के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में मर्ज कर चलाया जा रहा है। इस कारण ग्रामीण इलाकों से आने वाली बच्चियों को रोज़ाना 15 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है, जिससे उनकी शिक्षा और दिनचर्या दोनों पर गहरा असर पड़ रहा है।
विभागीय जानकारी के अनुसार, झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय में हर साल लगभग 350 छात्राओं को शिक्षा देने का लक्ष्य रखा जाता है। इसके बावजूद विद्यालय अपने स्थापना काल से ही “रामभरोसे” चल रहा है। सरकार द्वारा विद्यालय संचालन के लिए हर साल करोड़ों रुपये का बजट जारी किया जाता है, लेकिन हकीकत में न तो भवन बना और न ही सुविधाएं सुधरीं।
4 करोड़ की लागत से स्वीकृत भवन आज भी अधूरा
आठ वर्ष पहले नौडीहा बाजार में तत्कालीन विधायक और वर्तमान वित्त मंत्री की पहल पर 4 करोड़ रुपये की लागत से विद्यालय भवन निर्माण स्वीकृत हुआ था। लेकिन निर्माण कार्य में संवेदकों की लापरवाही और विभागीय सुस्ती के कारण यह भवन आज भी अधूरा पड़ा है। इससे छात्राओं को अपने ही इलाके में शिक्षा सुविधा से वंचित रहना पड़ रहा है।
कस्तूरबा विद्यालय पहले से ही भरा — छात्राओं पर दोहरी मार
कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में 525 छात्राओं की क्षमता है, जबकि वर्तमान में करीब 480 छात्राएं पहले से नामांकित हैं। स्टाफ की स्थिति भी बेहद सीमित है —
फुलटाइम शिक्षक : 5
पार्टटाइम शिक्षक : 11
रसोइया : 3
गार्ड : 1
स्वीपर : 1
ऐसे में दो विद्यालयों को एक ही भवन में चलाना न सिर्फ प्रशासनिक चुनौती है, बल्कि छात्राओं के लिए बड़ी परेशानी भी।
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जताई नाराज़गी
इस गंभीर मुद्दे पर सामाजिक कार्यकर्ता अरविन्द गुप्ता चुनमून ने कहा —
“यह इलाका आर्थिक रूप से पिछड़ा है। गरीब घरों की बेटियों को रोज़ाना शिक्षा के लिए संघर्ष करना पड़ता है। सरकार को प्राथमिकता के आधार पर नौडीहा बाजार में भवन निर्माण पूरा कर विद्यालय को स्वतंत्र रूप से चलाना चाहिए।”
उन्होंने मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री और पलामू उपायुक्त से विद्यालय भवन निर्माण में तेजी लाने और छात्राओं को राहत देने की अपील की है।
प्रशासन से ठोस पहल की मांग
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि नौडीहा बाजार के लिए संचालित झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय को अलग कर अधूरे भवन को शीघ्र पूरा कर दिया जाए, तो छात्राओं को न सिर्फ आवागमन की परेशानी से मुक्ति मिलेगी बल्कि बेहतर शैक्षणिक माहौल भी मिलेगा।
हालांकि, कई बार जिला प्रशासन और संबंधित विभाग को इस समस्या की जानकारी देने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। ग्रामीणों को अब उम्मीद है कि सरकार और प्रशासन इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर शीघ्र समाधान निकालेगा, ताकि नौडीहा बाजार की बेटियों को उनका अधिकार मिल सके।



