झारखंड से होते हुए दुद्धी क्षेत्र में कचरे की गाड़ी का प्रवेश, लोगों में स्वास्थ्य और पर्यावरण को लेकर चिंता |
दुद्धी/सोनभद्र।
झारखंड से होकर गुजरती हुई कचरे से भरी एक गाड़ी बीते दिनों दुद्धी क्षेत्र में देखी गई, जिससे स्थानीय लोगों में अस्वस्थता और पर्यावरणीय संकट को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की जा रही है। यह गाड़ी बिना किसी आधिकारिक जानकारी या अनुमति के सीमावर्ती क्षेत्र से होकर गुज़री, जिससे यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या क्षेत्रीय प्रशासन और निगरानी एजेंसियाँ पूरी तरह से सतर्क हैं?

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब इस प्रकार की संदिग्ध गतिविधियाँ सामने आई हैं। पहले भी कई बार झारखंड की सीमा से होकर संदिग्ध वाहन दुद्धी क्षेत्र में दाखिल हुए हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस तरह के कचरे का निपटारा सही ढंग से नहीं किया गया, तो इससे भूजल और वायुमंडलीय प्रदूषण फैल सकता है, जो दीर्घकालिक रूप से जनस्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालेगा।
स्थानीय प्रशासन से इस विषय में संपर्क करने पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। क्षेत्रीय निवासियों ने मांग की है कि ऐसे वाहनों की सघन निगरानी हो, सीमाओं पर कड़ी चौकसी बरती जाए, और यदि कोई गाड़ी बिना वैध दस्तावेजों के पाई जाए तो उस पर तत्काल कार्रवाई हो।
अनुरोध:
“आपसे निवेदन है कि उपरोक्त घटना की तत्काल जांच कर उचित कार्रवाई सुनिश्चित की जाए, जिससे क्षेत्र में स्वच्छता, स्वास्थ्य और सुरक्षा बनी रहे।”
झारखंड से यूपी में घुस रहा है कचरा, डाला बना जहरीली हवा का गढ़ – फैक्ट्री में जलाया जा रहा गीला-सूखा कचरा, लोग हो रहे बीमार
डाला/सोनभद्र। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनपद के डाला क्षेत्र में झारखंड से प्रतिदिन गीला और सूखा कचरा ट्रकों के माध्यम से अवैध रूप से प्रवेश कर रहा है। यह कचरा डाला स्थित अल्ट्राटेक सीमेंट फैक्ट्री के अंदर ले जाकर कोयले के विकल्प के रूप में जलाया जा रहा है, जिससे क्षेत्र की वायु गुणवत्ता अत्यंत भयावह स्थिति में पहुंच गई है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह कचरा झारखंड-बिहार की सीमाओं से होकर लाया जा रहा है और बिना किसी पर्यावरणीय परीक्षण या सरकारी अनुमति के फैक्ट्री में जलाया जा रहा है। इससे निकलने वाला जहरीला धुआं पूरे डाला क्षेत्र में फैलकर आम लोगों की सांसों में ज़हर घोल रहा है।
बीमारियों की बाढ़:
इस जहरीले प्रदूषण के कारण डाला क्षेत्र में दमा, सांस की तकलीफ, सीने में जलन, और चर्म रोग जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। कई लोग बताते हैं कि रात के समय सांस लेना मुश्किल हो जाता है, घुटन इतनी तेज होती है कि लोगों को बेचैनी और दम घुटने जैसा अनुभव होता है।
जनता के विरोध के बावजूद प्रशासन मौन:
स्थानीय लोगों ने कई बार इसका विरोध किया। जिला अधिकारी महोदय को ज्ञापन भी सौंपा गया, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। जनता का आरोप है कि उन्हें उनके हाल पर मरने के लिए छोड़ दिया गया है। औद्योगिक हितों की आड़ में आम जनता के जीवन से खिलवाड़ किया जा रहा है।
स्थानीय निवासियों की पीड़ा:
“हर दिन सुबह जब आंख खुलती है तो सबसे पहले सांस लेने में तकलीफ महसूस होती है। धूल, धुआं और बदबू से घरों के अंदर भी दम घुटता है।” – एक पीड़ित बुजुर्ग महिला
मांग:
झारखंड से आने वाले कचरा वाहनों पर रोक लगे
फैक्ट्री में कचरा जलाने की प्रक्रिया तत्काल बंद हो
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व जिला प्रशासन मौके पर जांच कर ठोस कार्रवाई करें
बीमार लोगों के लिए स्वास्थ्य शिविर और मुआवज़ा की व्यवस्था हो
निष्कर्ष: डाला क्षेत्र का यह मामला सिर्फ एक स्थानीय संकट नहीं, बल्कि एक मानवाधिकार का हनन है। यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो स्थिति और भयावह हो सकती है।


